3 Main Causes of Depression in Student’s Life

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Students में Depression और Anxiety होना एक आम बात हो चुकी है। Anxiety और depression का प्रभाव Students के Academic progress पर पड़ता है। सिर्फ डिप्रेशन का प्रभाव स्टूडेंट के मानसिक स्वास्थ्य पर ही नहीं पड़ता बल्कि इसका प्रभाव उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। मानसिक तनाव की वजह से स्टूडेंट अलग-थलग रहने लगते हैं। वह पढ़ाई करने में भी असमर्थ हो जाते हैं। कई बार डिप्रेशन का प्रभाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि स्टूडेंट्स अपनी  Life को भी खत्म करने का मन बना लेते हैं जिस वजह से स्टूडेंट्स की मृत्यु का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

इसीलिए डिप्रेशन की पहचान कर उसका उचित समय में समाधान करना जरूरी होता है। डिप्रेशन व चिंता से छुटकारा पाना आपके हाथ में होता है। इस आर्टिकल में हम डिप्रेशन के 3 मुख्य कारणों के बारे में बताएंगे साथ ही इन कारणों से बचने के उपाय भी सुझाएंगे।

1. Ragging

अक्सर देखा गया है कि स्कूल और कॉलेजों में Junior या नए छात्रों के साथ Senior छात्र रैगिंग करते हैं। कई स्टूडेंट किसी दूसरे राज्य से किसी राज्य में पढ़ाई के लिए आते हैं, वह Hostel में रहते हैं। कई बार इन संस्थानों में Senior, छात्र Junior के साथ Ragging करते हैं। रैगिंग की वजह से कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जब रैगिंग से परेशान होकर छात्र आत्महत्या तक कर लेते हैं। हालांकि इन सभी संस्थानों में रैगिंग पर पाबंदी है। साथ ही रैगिंग पीड़ितों के लिए Helpline Number भी जारी किया गया है जिसमें छात्र अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

anxiety

रैगिंग को खत्म करने के लिए शिक्षकों को भी कड़े कदम उठाने चाहिए। उन्हें शुरुआत से ही कक्षा में छात्रों को रैगिंग ना करने की सीख देनी चाहिए। लेकिन जितना दायित्व शिक्षकों का है उतना ही ज्यादा दायित्व माता-पिता का भी होता है कि वह अपने बच्चे को यह शिक्षा दें कि स्कूल और अन्य संस्थानों में दूसरों से कैसे बर्ताव करना चाहिए। यदि माता-पिता अपने छात्रों पर शुरुआत से ध्यान देते हैं तो रैगिंग जैसी घटनाएं सामने नहीं आती।

Raging का प्रभाव कई छात्रों की जिंदगी पर पड़ता है। कई बार छात्र रैगिंग से परेशान होकर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लेते हैं। ऐसे में रैगिंग जैसा घृणात्मक काम करने वाले छात्रों के लिए कड़े प्रावधान किए जाने चाहिए। जब कड़ी सजा का प्रावधान होगा तभी छात्र  इस तरह के कदम उठाने से कतराएंगे।


Exams:

छात्रों के जीवन में परीक्षाएं डिप्रेशन का मुख्य कारण है क्योंकि कई बार एग्जाम की टेंशन और दबाव की वजह से छात्र डिप्रेशन में पड़ जाते हैं। परीक्षाओं की पहले से तैयारी ना करने की वजह से वे असमर्थ महसूस करते हैं। इसके साथ ही कई Parents ऐसे होते हैं जो Students पर अच्छे Marks लाने का दबाव डालते हैं। यह दबाव स्टूडेंट पर धीरे-धीरे बोझ बन जाता है जिस वजह से स्टूडेंट अपने मन मुताबिक अपने शैक्षणिक करियर में सफलता हासिल नहीं कर पाते इसलिए यह जरूरी है कि Parents अपने बच्चों का पूरा सहयोग करें तथा उन पर अपनी महत्वाकांक्षाओं का बोझ ना डालें। उन्हें छात्रों की महत्वाकांक्षाओं को बराबर तवज्जो देनी चाहिए। साथ ही उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए। यदि Parents बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें उनका करियर चुनने की स्वतंत्रता देते हैं तो तब छात्र अपने करियर में प्रोग्रेस हासिल करते हैं और डिप्रेशन की स्थिति से बचते है।

ANXIETY


Abuse:

छात्र-छात्राएं स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान अपने किशोरावस्था में होते हैं। इस दौरान उनके साथ physical, Sexual और emotional abuse जैसी घटनाएं होती हैं। जो उनके जीवन को और भी ज्यादा Vulnerable बना देती है। कई बार छात्र-छात्राएं प्रेम प्रसंग में पड़कर भी अपनी जिंदगी को बर्बाद कर देते हैं जो उन में डिप्रेशन का मुख्य कारण बनता है। इसके साथ ही यदि किसी छात्र-छात्रा के साथ किसी भी तरह की यौन शोषण जैसी घटना होती है तो उसे समय रहते पुलिस को सूचित कर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। कई लोग ऐसे मामलों में चुप रहते हैं जिस वजह से इस तरह के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

इस तरह के हैवान रोज नए लोगों को अपना शिकार बनाते हैं इसलिए इन पर रोक लगाने के लिए कार्यवाही की जानी जरूरी है।ऐसी स्थिति में माता पिता को हमेशा अपने बच्चों की स्थिति को समझना चाहिए तथा उनसे हमेशा बातचीत करनी चाहिए जिससे वे अपने परेशानियों को खुलकर बात सके।

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हमने डिप्रेशन और Anxiety के तीन कारणों की चर्चा की तथा उनसे निपटने के समाधान के बारे में बताया। Depression एक गंभीर समस्या बन जाती है जिससे छात्रों को छुटकारा दिलाना जरूरी होता है, नहीं तो यह उनकी जिंदगी को बर्बाद कर देती है। सभी Parents को भी अपने छात्रों को पूरा सहयोग देना चाहिए क्योंकि छात्रों को यदि कोई सबसे ज्यादा समझता है तो वे उसके Parents है। इतना ही नहीं छात्रों को भी समय रहते उचित कदम उठाने चाहिए। जैसे परीक्षाओं के डर से बचने के लिए उन्हें पहले से ही तैयारी करनी चाहिए। यदि उनके साथ रैगिंग जैसी घटना हो तो समय रहते ही उन्हें इसकी सूचना एंटी रैगिंग डिपार्टमेंट के पास पहुंचानी चाहिए जिससे समय रहते इस पर रोक लग सके।

By – Bharti

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