OSI Model in Hindi एक मानकीकृत ढांचा है जिसका उद्देश्य नेटवर्किंग प्रणालियों के बीच संचार की प्रक्रिया को स्पष्ट और व्यवस्थित करना है। इसे 1984 में अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन (ISO) द्वारा विकसित किया गया था। OSI मॉडल सात परतों (layers) में विभाजित है, जो नेटवर्क संचार की विभिन्न सुविधाओं और कार्यात्मकताओं को परिभाषित करती हैं। प्रत्येक परत एक विशिष्ट कार्य करती है और डेटा को प्रोसेस करने के लिए जिम्मेदार होती है, जिससे नेटवर्क संचार में स्पष्टता और संगति सुनिश्चित होती है।
- Layers of the OSI Model in Hindi
- Physical Layer of OSI Model in Hindi
- Data Link Layer of OSI Model in Hindi
- Network Layer of OSI Model in Hindi
- Transport Layer of OSI Model in Hindi
- Session Layer of OSI Model in Hindi
- Presentation Layer of OSI Model in Hindi
- Application Layer of OSI Model in Hindi
- 7 layers of OSI model
- OSI Model in computer Network
- Frequently Asked Question (FAQs)
Layers of the OSI Model in Hindi
OSI मॉडल की परतें (Layers of the OSI Model)
(Open Systems Interconnection) OSI मॉडल में कुल सात परतें होती हैं, जो नेटवर्क संचार की विभिन्न सुविधाओं और कार्यों को विभाजित करती हैं। इन परतों की संरचना नेटवर्क संचार की जटिलता को व्यवस्थित करने और समझने में मदद करती है।
मॉडल की सात परतें (Seven Layers of the OSI Model)
- भौतिक परत (Physical Layer)
- डेटा लिंक परत (Data Link Layer)
- नेटवर्क परत (Network Layer)
- परिवहन परत (Transport Layer)
- सत्र परत (Session Layer)
- प्रस्तुति परत (Presentation Layer)
- अनुप्रयोग परत (Application Layer)
प्रत्येक परत का कार्य (Function of Each Layer)
1. भौतिक परत (Physical Layer)
- कार्य: भौतिक परत नेटवर्क के हार्डवेयर और सिग्नलिंग को संभालती है। इसका कार्य बाइट्स को बाइनरी सिग्नल्स (0 और 1) में परिवर्तित करना और इन्हें नेटवर्क के माध्यम से भेजना होता है। इसमें केबल्स, हब्स, और नेटवर्क इंटरफेस कार्ड्स शामिल हैं।
2. डेटा लिंक परत (Data Link Layer)
- कार्य: डेटा लिंक परत का मुख्य कार्य नेटवर्क में डेटा पैकेट्स की त्रुटि सुधार और सही पते पर भेजना होता है। यह फ्रेमिंग, ऐड्रेसिंग (MAC एड्रेस), और डेटा की एकरूपता (error detection and correction) की जिम्मेदार होती है। इसमें स्विच और ब्रिज जैसे उपकरण शामिल होते हैं।
3. नेटवर्क परत (Network Layer)
- कार्य: नेटवर्क परत का काम डेटा पैकेट्स को स्रोत से गंतव्य तक मार्गदर्शित करना होता है। यह IP एड्रेसिंग, पैकेट स्विचिंग, और रूटिंग का कार्य करती है। इसमें राउटर जैसे उपकरण शामिल होते हैं जो नेटवर्क ट्रैफ़िक को प्रबंधित करते हैं।
4. परिवहन परत (Transport Layer)
- कार्य: परिवहन परत डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करती है। यह डेटा को छोटे भागों में विभाजित करती है (सत्रों में), डेटा का पुनः संकलन करती है, और ट्रांसमिशन की त्रुटियों को सुधारती है। इसमें TCP (Transmission Control Protocol) और UDP (User Datagram Protocol) शामिल होते हैं।
5. सत्र परत (Session Layer)
- कार्य: सत्र परत नेटवर्क कनेक्शंस को प्रबंधित करती है और सत्रों के प्रारंभ, प्रबंधन और समाप्ति को नियंत्रित करती है। यह एक कनेक्शन के दौरान डेटा की निरंतरता बनाए रखने में मदद करती है और नेटवर्क सत्रों को समन्वित करती है।
6. प्रस्तुति परत (Presentation Layer)
- कार्य: प्रस्तुति परत डेटा को एक सामान्य रूप में बदलती है जिसे नेटवर्क पर अन्य परतों द्वारा समझा जा सके। यह डेटा को एन्कोड और डिकोड करती है, जैसे कि डेटा को संपीडित (compression) और डिक्रिप्ट (decryption) करती है। यह विभिन्न डेटा स्वरूपों और फ़ाइल स्वरूपों के बीच संगति सुनिश्चित करती है।
7. अनुप्रयोग परत (Application Layer)
- कार्य: अनुप्रयोग परत सबसे ऊपरी परत है और यह उपयोगकर्ता एप्लिकेशन के लिए नेटवर्क सेवाएँ प्रदान करती है। इसमें नेटवर्क आधारित सेवाएँ जैसे ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, और फ़ाइल ट्रांसफर शामिल हैं। यह नेटवर्क सेवाओं के उपयोग और एक्सेस को प्रबंधित करती है और अंत उपयोगकर्ताओं के लिए इंटरफेस प्रदान करती है।
Physical Layer of OSI Model in Hindi
भौतिक परत (Physical Layer)
OSI Model in Hindi की पहली परत है और यह नेटवर्क संचार के भौतिक पहलुओं को संभालती है। यह परत डेटा को बाइनरी सिग्नल्स में परिवर्तित करती है और इन सिग्नल्स को नेटवर्क माध्यम के माध्यम से प्रसारित करती है।
उद्देश्य (Purpose of the Physical Layer)
- डेटा ट्रांसमिशन: भौतिक परत का मुख्य उद्देश्य डेटा को भौतिक सिग्नल्स में परिवर्तित करना और उन्हें नेटवर्क के माध्यम से ट्रांसमिट करना है। यह सिग्नल्स इलेक्ट्रिकल, ऑप्टिकल, या रेडियो तरंगों के रूप में हो सकते हैं।
- नेटवर्क कनेक्टिविटी: यह परत नेटवर्क उपकरणों के बीच कनेक्शन को स्थापित करती है और सुनिश्चित करती है कि डेटा सफलतापूर्वक भेजा और प्राप्त किया जा सके।
- सिग्नल की गुणवत्ता: भौतिक परत सिग्नल की गुणवत्ता और ताकत को बनाए रखती है ताकि डेटा में त्रुटियाँ कम हों और संचार की सटीकता बनी रहे।
- डेटा की गति: यह परत डेटा ट्रांसमिशन की गति (डेटा ट्रांसफर दर) को नियंत्रित करती है और सुनिश्चित करती है कि डेटा निर्धारित गति से भेजा जा सके।
विशेषताएँ (Characteristics of the Physical Layer)
- सिग्नल प्रकार: भौतिक परत विभिन्न प्रकार के सिग्नल्स को संभालती है, जैसे कि इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स (केबल्स के माध्यम से), ऑप्टिकल सिग्नल्स (फाइबर ऑप्टिक केबल्स के माध्यम से), और रेडियो सिग्नल्स (वायरलेस नेटवर्क्स में)।
- डेटा दर: यह परत डेटा ट्रांसमिशन की दर को निर्दिष्ट करती है, जो बैंडविड्थ और सिग्नल की गति पर निर्भर करती है।
- नेटवर्क मीडिया: भौतिक परत विभिन्न नेटवर्क मीडिया का उपयोग करती है, जैसे कि ट्रांसमिशन केबल्स (कॉक्सियल केबल्स, ट्विस्टेड पेयर केबल्स), फाइबर ऑप्टिक केबल्स, और वायरलेस रेडियो तरंगें।
- कनेक्टर्स और हार्डवेयर: इसमें नेटवर्क हार्डवेयर और कनेक्टर्स जैसे नेटवर्क कार्ड्स, हब्स, राउटर्स, और सविच शामिल होते हैं जो डेटा ट्रांसमिशन को संभव बनाते हैं।
- सिग्नल प्रोसेसिंग: यह परत सिग्नल्स की उत्पत्ति, ट्रांसमिशन, और रिसेप्शन को संभालती है और सुनिश्चित करती है कि सिग्नल्स निर्दिष्ट मानकों के अनुसार होते हैं।
उदाहरण (Examples of the Physical Layer)
1. केबल्स और कनेक्टर्स:
- कॉक्सियल केबल्स: कंप्यूटर नेटवर्क और टेलीविजन सिग्नल्स के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- ट्विस्टेड पेयर केबल्स: नेटवर्किंग के लिए सामान्यतः उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि CAT5, CAT6 केबल्स।
- फाइबर ऑप्टिक केबल्स: उच्च गति और लंबी दूरी के डेटा ट्रांसमिशन के लिए उपयोग होते हैं।
2. नेटवर्क हार्डवेयर:
- इंटरफेस कार्ड्स (NICs): कंप्यूटर और अन्य नेटवर्क उपकरणों को नेटवर्क से जोड़ने के लिए।
- हब्स: नेटवर्क के उपकरणों को जोड़ने के लिए एक साधारण डिवाइस जो सिग्नल्स को सभी पोर्ट्स पर प्रसारित करता है।
- स्विचेस: नेटवर्क ट्रैफ़िक को विभिन्न पोर्ट्स पर विभाजित करने के लिए और डेटा को लक्षित डिवाइस तक पहुंचाने के लिए।
3. वायरलेस संचार उपकरण:
- राउटर्स: जो वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से डेटा ट्रांसमिट करते हैं और प्राप्त करते हैं।
- एंटेना: वायरलेस नेटवर्क के सिग्नल्स को प्रसारित और प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
Data Link Layer of OSI Model in Hindi
डाटा लिंक परत (Data Link Layer)
OSI मॉडल की दूसरी परत है और यह नेटवर्क के डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। यह परत नेटवर्क पर डेटा की त्रुटियों की जांच और सुधार करती है और डेटा फ्रेमिंग, ऐड्रेसिंग, और फ्लो कंट्रोल की सुविधाएँ प्रदान करती है।
उद्देश्य (Purpose of the Data Link Layer)
- डेटा फ्रेमिंग: डाटा लिंक परत डेटा को फ्रेम्स में विभाजित करती है, जिससे डेटा को एक नेटवर्क माध्यम पर प्रसारित किया जा सके। यह फ्रेम्स को प्रारंभ और अंत से जोड़कर डेटा को संगठित और प्रबंधित करती है।
- त्रुटि सुधार (Error Detection and Correction): यह परत डेटा ट्रांसमिशन के दौरान उत्पन्न त्रुटियों का पता लगाती है और उन्हें सुधारती है। इसमें डेटा की अखंडता बनाए रखने के लिए त्रुटि जांच और सुधार विधियाँ शामिल हैं।
- नेटवर्क ऐड्रेसिंग: डाटा लिंक परत नेटवर्क के भीतर उपकरणों को अद्वितीय पहचान देने के लिए MAC (Media Access Control) एड्रेस का उपयोग करती है। यह डेटा को सही गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करती है।
- फ्लो कंट्रोल: यह परत डेटा ट्रांसमिशन की गति को नियंत्रित करती है ताकि रिसीवर के लिए डेटा प्रोसेस करना संभव हो सके और डेटा की गति को संतुलित रखा जा सके।
- नेटवर्क एक्सेस कंट्रोल: डाटा लिंक परत यह नियंत्रित करती है कि नेटवर्क माध्यम का उपयोग कौन कर सकता है और कब, ताकि डेटा की टकराव और संचार में बाधाएं कम हों।
डाटा लिंक परत की विशेषताएँ (Characteristics of the Data Link Layer)
- फ्रेमिंग: डाटा लिंक परत डेटा को छोटे फ्रेम्स में बांटती है और प्रत्येक फ्रेम में हेडर और ट्रेलर जोड़ती है, जो डेटा की अखंडता और गंतव्य जानकारी को सुनिश्चित करते हैं।
- त्रुटि जांच और सुधार: यह परत CRC (Cyclic Redundancy Check) या अन्य त्रुटि जांच विधियों का उपयोग करती है ताकि डेटा की त्रुटियों का पता लगाया जा सके और उन्हें सही किया जा सके।
- MAC एड्रेसिंग: यह परत MAC एड्रेस का उपयोग करती है, जो नेटवर्क के उपकरणों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और डेटा को सही डिवाइस तक पहुँचाता है।
- फ्लो कंट्रोल: यह परत डेटा ट्रांसमिशन की गति को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाती है, जैसे कि विंडो साइज मैनेजमेंट और ACK (Acknowledgement) मैकेनिज़म।
- विवरणात्मक और डेमोडलिंग: डेटा की आदान-प्रदान की प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित करने के लिए यह परत डेमोडलिंग और एन्कोडिंग विधियाँ लागू करती है।
उदाहरण (Examples of the Data Link Layer)
1. प्रोटोकॉल्स:
- Ethernet: यह सबसे सामान्य डेटा लिंक प्रोटोकॉल है जो लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) में डेटा फ्रेमिंग और ट्रांसमिशन के लिए उपयोग किया जाता है।
- PPP (Point-to-Point Protocol): यह वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) कनेक्शन्स में डेटा लिंक परत के लिए उपयोग किया जाता है।
2. नेटवर्क उपकरण:
- स्विच (Switches): ये उपकरण नेटवर्क पर डेटा फ्रेम्स को सही गंतव्य तक पहुंचाने के लिए MAC एड्रेस का उपयोग करते हैं।
- ब्रिज (Bridges): ये उपकरण दो या अधिक नेटवर्क सेगमेंट्स को जोड़ते हैं और डेटा लिंक परत की सुविधाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि फ्रेमिंग और त्रुटि सुधार।
3. प्रोविडर प्रोटोकॉल्स:
- HDLC (High-Level Data Link Control): यह एक डेटा लिंक प्रोटोकॉल है जो डेटा ट्रांसमिशन के लिए फ्रेमिंग और त्रुटि सुधार प्रदान करता है।
- 802.11 (Wi-Fi): वायरलेस नेटवर्क्स में डेटा ट्रांसमिशन के लिए डाटा लिंक परत के रूप में कार्य करता है।
Network Layer of OSI Model in Hindi
नेटवर्क परत (Network Layer)
OSI मॉडल की तीसरी परत है, जो डेटा पैकेट्स के स्रोत से गंतव्य तक मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होती है। यह परत नेटवर्क के भीतर डेटा पैकेट्स की रूटिंग, ऐड्रेसिंग और ट्रांसमिशन का काम करती है।
उद्देश्य (Purpose of the Network Layer)
- पैकेट रूटिंग: नेटवर्क परत का प्रमुख उद्देश्य डेटा पैकेट्स को स्रोत से गंतव्य तक मार्गदर्शित करना है। यह नेटवर्क के भीतर विभिन्न मार्गों का चयन करती है और सुनिश्चित करती है कि डेटा सही डिवाइस तक पहुँच सके।
- नेटवर्क ऐड्रेसिंग: यह परत नेटवर्क में प्रत्येक डिवाइस को एक अद्वितीय आईपी (IP) एड्रेस प्रदान करती है। यह एड्रेसिंग डेटा पैकेट्स को सही गंतव्य तक पहुँचाने में मदद करती है।
- पैकेट स्विचिंग: नेटवर्क परत डेटा को छोटे पैकेट्स में विभाजित करती है और प्रत्येक पैकेट को स्वतंत्र रूप से मार्गदर्शित करती है। यह स्विचिंग नेटवर्क की क्षमता और प्रदर्शन को बढ़ाती है।
- नेटवर्क ट्रैफिक नियंत्रण: यह परत नेटवर्क ट्रैफिक को प्रबंधित करती है, ताकि नेटवर्क पर अधिक ट्रैफिक से बचा जा सके और डेटा ट्रांसमिशन की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।
- मल्टीप्लेक्सिंग और डेमल्टीप्लेक्सिंग: नेटवर्क परत एक ही नेटवर्क माध्यम पर कई डेटा स्ट्रीम्स को एक साथ ट्रांसमिट करने की सुविधा प्रदान करती है और विभिन्न डेटा स्ट्रीम्स को अलग-अलग करती है।
विशेषताएँ (Characteristics of the Network Layer)
- आईपी ऐड्रेसिंग: नेटवर्क परत आईपी (Internet Protocol) एड्रेस का उपयोग करती है, जो नेटवर्क में प्रत्येक डिवाइस की एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और पैकेट्स को सही गंतव्य पर पहुँचाता है।
- रूटिंग और स्विचिंग: यह परत पैकेट्स को विभिन्न मार्गों के माध्यम से रूट करती है और नेटवर्क पर स्विच करती है, जिससे डेटा के ट्रांसमिशन की दिशा निर्धारित होती है।
- पैकेट अनुक्रमण: नेटवर्क परत पैकेट्स को छोटे हिस्सों में विभाजित करती है और उन्हें ठीक से अनुक्रमित करती है, जिससे डेटा का पुनः संकलन सही ढंग से किया जा सके।
- ट्रैफिक प्रबंधन: यह परत नेटवर्क ट्रैफिक को संतुलित करती है, बैंडविड्थ का प्रबंधन करती है, और नेटवर्क पर भीड़-भाड़ को कम करती है।
- नेटवर्क लेआउट और टोपोलॉजी: नेटवर्क परत नेटवर्क की भौतिक और तार्किक लेआउट को प्रबंधित करती है और नेटवर्क टोपोलॉजी के अनुसार डेटा को मार्गदर्शित करती है।
उदाहरण (Examples of the Network Layer)
1. प्रोटोकॉल्स:
- IP (Internet Protocol): यह सबसे सामान्य नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो आईपी एड्रेसिंग और पैकेट स्विचिंग का काम करता है। इसमें IPv4 और IPv6 शामिल हैं।
- ICMP (Internet Control Message Protocol): यह प्रोटोकॉल नेटवर्क त्रुटियों की रिपोर्टिंग और निदान के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि पिंग टेस्ट और ट्रेसरूट।
2. नेटवर्क उपकरण:
- राउटर्स: राउटर्स नेटवर्क पर पैकेट्स को सही गंतव्य तक पहुँचाने के लिए रूटिंग और स्विचिंग का काम करते हैं। वे नेटवर्क पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- लॉजिक स्विचेस: ये उपकरण नेटवर्क में डेटा पैकेट्स की मार्गदर्शना और रूटिंग को प्रबंधित करते हैं।
3. प्रोविडर प्रोटोकॉल्स:
- BGP (Border Gateway Protocol): यह एक महत्वपूर्ण रूटिंग प्रोटोकॉल है जो विभिन्न ऑटोनॉमस सिस्टम्स के बीच डेटा रूटिंग को प्रबंधित करता है।
- OSPF (Open Shortest Path First): यह एक रूटिंग प्रोटोकॉल है जो आईपी नेटवर्क में सबसे छोटा मार्ग खोजने के लिए उपयोग किया जाता है।
Transport Layer of OSI Model in Hindi
ट्रांसपोर्ट परत (Transport Layer)
OSI मॉडल की चौथी परत है और यह नेटवर्क पर डेटा की विश्वसनीयता, ऑर्डर, और डेटा की अखंडता को सुनिश्चित करती है। यह परत डेटा को स्रोत से गंतव्य तक ट्रांसफर करती है और विभिन्न एप्लिकेशन के बीच संचार की गुणवत्ता को प्रबंधित करती है।
उद्देश्य (Purpose of the Transport Layer)
- डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता: ट्रांसपोर्ट परत डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करती है। यह डेटा पैकेट्स की सही प्राप्ति की पुष्टि करती है और त्रुटियों को ठीक करती है।
- क्रम और ऑर्डर: यह परत डेटा पैकेट्स को उनके सही क्रम में पुनः व्यवस्थित करती है, ताकि गंतव्य पर डेटा का क्रम सही रहे।
- फ्लो कंट्रोल: ट्रांसपोर्ट परत डेटा ट्रांसमिशन की गति को नियंत्रित करती है ताकि रिसीवर को डेटा प्रोसेस करने के लिए पर्याप्त समय मिले और ओवरलोडिंग से बचा जा सके।
- कनेक्शन सेटअप और टर्मिनेशन: यह परत नेटवर्क कनेक्शन को स्थापित और समाप्त करती है, जिससे एप्लिकेशन के बीच एक स्थिर और विश्वसनीय संचार चैनल स्थापित होता है।
- डाटा विभाजन और पुनः संयोजन: ट्रांसपोर्ट परत बड़े डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में विभाजित करती है और गंतव्य पर उन्हें पुनः संयोजित करती है, ताकि नेटवर्क में कुशलता से ट्रांसमिट किया जा सके।
विशेषताएँ (Characteristics of the Transport Layer)
- कनेक्शन-ओरिएंटेड और कनेक्शन-लेस प्रोटोकॉल्स:
- ओरिएंटेड: यह परत कनेक्शन को स्थापित करने, डेटा ट्रांसमिशन को प्रबंधित करने, और कनेक्शन को समाप्त करने का कार्य करती है। उदाहरण: TCP (Transmission Control Protocol)।
- लेस: यह परत डेटा को बिना किसी कनेक्शन के ट्रांसमिट करती है और हर पैकेट को स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करती है। उदाहरण: UDP (User Datagram Protocol)।
- एरर डिटेक्शन और करेक्शन: ट्रांसपोर्ट परत त्रुटियों का पता लगाती है और उन्हें ठीक करती है, जैसे कि डेटा को रिपीट करना या पैकेट को पुनः ट्रांसमिट करना।
- डेटा फ्लो कंट्रोल: यह परत ट्रांसमिशन की गति को नियंत्रित करती है, ताकि रिसीवर को डेटा प्रोसेस करने के लिए समय मिल सके और डेटा ओवरलोडिंग से बचा जा सके।
- सिक्योरिटी और एनक्रिप्शन: कुछ ट्रांसपोर्ट परत प्रोटोकॉल्स डेटा को एन्क्रिप्ट करते हैं ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और डेटा की गोपनीयता बनाए रखी जा सके।
- पोर्ट नंबरिंग: ट्रांसपोर्ट परत एप्लिकेशनों के बीच डेटा को सही ढंग से रूट करने के लिए पोर्ट नंबरों का उपयोग करती है। यह विभिन्न एप्लिकेशनों के लिए एक ही नेटवर्क कनेक्शन पर डेटा ट्रांसफर की सुविधा देती है।
उदाहरण (Examples of the Transport Layer)
- प्रोटोकॉल्स:
- TCP (Transmission Control Protocol): यह कनेक्शन-ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है जो डेटा ट्रांसमिशन की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करता है। यह डेटा पैकेट्स को क्रमबद्ध करता है और त्रुटियों को सुधारता है।
- UDP (User Datagram Protocol): यह कनेक्शन-लेस प्रोटोकॉल है जो डेटा को तेजी से ट्रांसमिट करता है लेकिन विश्वसनीयता की गारंटी नहीं देता है। इसका उपयोग स्ट्रीमिंग मीडिया और गेमिंग में किया जाता है।
- नेटवर्क एप्लिकेशन:
- HTTP (Hypertext Transfer Protocol): यह एक एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल है जो वेब ब्राउज़र और वेब सर्वर के बीच डेटा ट्रांसफर करता है, और ट्रांसपोर्ट परत पर TCP का उपयोग करता है।
- FTP (File Transfer Protocol): यह प्रोटोकॉल फाइल ट्रांसफर के लिए उपयोग होता है और TCP पर आधारित होता है, जिससे डेटा की विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।
- नेटवर्क टूल्स:
- Telnet: यह एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो TCP का उपयोग करके एक दूरस्थ सर्वर पर लॉगिन करने की अनुमति देता है।
- VoIP (Voice over IP): वॉयस कॉल्स के लिए UDP का उपयोग करता है, जिससे लेटेंसी कम होती है और कॉल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
Session Layer of OSI Model in Hindi
सत्र परत (Session Layer)
OSI मॉडल की पाँचवीं परत है और यह नेटवर्क पर एप्लिकेशन के बीच संचार सत्रों को प्रबंधित करती है। इसका उद्देश्य एप्लिकेशन के बीच एक सत्र स्थापित करना, बनाए रखना और समाप्त करना है, जिससे डेटा ट्रांसफर की प्रक्रिया को व्यवस्थित और नियंत्रित किया जा सके।
उद्देश्य (Purpose of the Session Layer)
- सत्र प्रबंधन: सत्र परत एप्लिकेशनों के बीच संचार सत्रों को स्थापित, बनाए रखने और समाप्त करने का काम करती है। यह सुनिश्चित करती है कि डेटा ट्रांसफर के दौरान एप्लिकेशन का कनेक्शन लगातार बना रहे।
- डेटा सिंक्रोनाइजेशन: यह परत डेटा ट्रांसफर के दौरान सिंक्रोनाइजेशन की सुविधा प्रदान करती है, ताकि डेटा सही समय पर और सही क्रम में प्राप्त हो सके।
- सत्र पुनर्प्रारंभ (Session Recovery): अगर संचार सत्र बीच में ही बाधित हो जाए, तो सत्र परत पुनर्प्रारंभ की प्रक्रिया को प्रबंधित करती है, जिससे डेटा की पुनः प्राप्ति की जा सके और संचार जारी रह सके।
- डायलॉग नियंत्रण: सत्र परत एप्लिकेशन के बीच डायलॉग का प्रबंधन करती है, जिसमें यह तय करती है कि डेटा संचार एकतरफा (half-duplex) या दोनों तरफ (full-duplex) होगा।
- डेटा एक्सचेंज: यह परत एप्लिकेशन के बीच डेटा के आदान-प्रदान को सुव्यवस्थित करती है, जिससे डेटा सही समय पर और सही स्थान पर पहुँचे।
विशेषताएँ (Characteristics of the Session Layer)
- सत्र प्रबंधन और नियंत्रण: सत्र परत संचार सत्रों को स्थापित करती है और उन्हें नियंत्रित करती है, जिससे डेटा ट्रांसफर की प्रक्रिया व्यवस्थित रहती है।
- संबंधित सत्रों का समन्वय: यह परत विभिन्न सत्रों के बीच समन्वय स्थापित करती है, जिससे मल्टीपल संचार सत्र एक साथ चल सके।
- सत्र की पहचान और प्रबंधन: प्रत्येक सत्र को एक अद्वितीय पहचान (session ID) प्रदान की जाती है, जिससे सत्रों को आसानी से ट्रैक और प्रबंधित किया जा सके।
- डायलॉग नियंत्रण: यह परत संचार के दौरान डेटा ट्रांसमिशन की दिशा और नियंत्रण को व्यवस्थित करती है, जैसे कि आधा डुप्लेक्स या फुल डुप्लेक्स।
- रिस्टोर और रिकवरी: सत्र परत संचार में किसी भी विघ्न के बाद सत्र को पुनः स्थापित करने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे डेटा की कमी या त्रुटियों को ठीक किया जा सके।
उदाहरण (Examples of the Session Layer)
- प्रोटोकॉल्स:
- NetBIOS (Network Basic Input/Output System): यह एक सत्र प्रोटोकॉल है जो नेटवर्क पर एप्लिकेशनों के बीच सत्रों को स्थापित और प्रबंधित करता है।
- RPC (Remote Procedure Call): यह प्रोटोकॉल एप्लिकेशन के बीच सत्रों को प्रबंधित करता है और दूरस्थ प्रक्रियाओं के कॉल को संभालता है।
- नेटवर्क एप्लिकेशन:
- SQL (Structured Query Language): SQL सत्र परत का उपयोग करके डेटाबेस सर्वर के साथ संचार सत्रों को प्रबंधित करता है।
- NFS (Network File System): NFS सत्र परत का उपयोग करके नेटवर्क पर फ़ाइलों को एक्सेस और प्रबंधित करता है।
- नेटवर्क टूल्स:
- Telnet: यह एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जो TCP/IP पर आधारित है और सत्र परत के माध्यम से दूरस्थ मशीनों पर लॉगिन सत्रों को प्रबंधित करता है।
- FTP (File Transfer Protocol): FTP सत्र परत का उपयोग करके डेटा ट्रांसफर के लिए कनेक्शन स्थापित करता है और बनाए रखता है।
Presentation Layer of OSI Model in Hindi
प्रस्तुतीकरण परत (Presentation Layer)
OSI मॉडल की छठी परत है और यह डेटा को एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में परिवर्तित करने की जिम्मेदारी निभाती है। यह परत एप्लिकेशन और नेटवर्क के बीच डेटा की सांकेतिकता और स्वरूप को प्रबंधित करती है, जिससे डेटा की समरूपता और सुसंगतता सुनिश्चित होती है।
उद्देश्य (Purpose of the Presentation Layer)
- स्वरूपण (Data Formatting): यह परत डेटा को एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में परिवर्तित करती है, जिससे विभिन्न एप्लिकेशनों और प्रणालियों के बीच डेटा का आदान-प्रदान संभव हो सके। उदाहरण के लिए, ASCII से EBCDIC या JSON से XML में डेटा रूपांतरण।
- संपीड़न (Data Compression): प्रस्तुतीकरण परत डेटा को संपीड़ित करती है ताकि ट्रांसफर के दौरान बैंडविड्थ की बचत हो सके और ट्रांसमिशन की गति बढ़ सके। यह डेटा ट्रांसमिशन को अधिक कुशल बनाती है।
- एन्क्रिप्शन (Data Encryption): यह परत डेटा को एन्क्रिप्ट करती है ताकि संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। डेटा को एन्क्रिप्ट करने से यह केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा ही पढ़ा जा सकता है।
- डिक्रिप्शन (Data Decryption): प्राप्त डेटा को उचित प्रारूप में बदलने के लिए इसे डिक्रिप्ट करती है, जिससे डेटा को पढ़ा और समझा जा सके।
- प्रतिनिधित्व (Data Representation): यह परत डेटा के प्रारूप और प्रतीकात्मकता को नियंत्रित करती है, जैसे कि फ़ाइल प्रकार (JPEG, GIF) और पाठ प्रारूप (ASCII, Unicode)।
विशेषताएँ (Characteristics of the Presentation Layer)
- स्वरूप रूपांतरण (Format Translation): विभिन्न प्रणालियों और एप्लिकेशनों के बीच डेटा के प्रारूपों का अनुवाद करती है, ताकि सभी प्रणालियाँ डेटा को समझ सकें और प्रोसेस कर सकें।
- संपीडन और डिक्रिप्शन (Compression and Encryption): डेटा को संपीड़ित और एन्क्रिप्ट करने के लिए जिम्मेदार होती है, जो डेटा ट्रांसमिशन को सुरक्षित और कुशल बनाती है।
- सहायता स्वरूप (Support for Various Formats): विभिन्न डेटा स्वरूपों और प्रोटोकॉल्स का समर्थन करती है, जैसे कि ग्राफिक्स, ऑडियो, वीडियो, और पाठ फ़ाइलें।
- कोडिंग और डिकोडिंग (Encoding and Decoding): डेटा को सही प्रारूप में एन्कोड करती है और प्राप्त डेटा को डिकोड करती है, जिससे डेटा को ठीक से प्रोसेस किया जा सके।
- डेटा सुसंगतता (Data Consistency): डेटा की संपूर्णता और सुसंगतता को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे डेटा का आदान-प्रदान त्रुटि रहित और सटीक होता है।
उदाहरण (Examples of the Presentation Layer)
- प्रोटोकॉल्स और टूल्स:
- TLS/SSL (Transport Layer Security/Secure Sockets Layer): ये प्रोटोकॉल्स डेटा एन्क्रिप्शन और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं, जिससे डेटा ट्रांसमिशन सुरक्षित होता है।
- JPEG, GIF, PNG: ये छवि स्वरूप डेटा को संपीड़ित और रूपांतरित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- नेटवर्क एप्लिकेशन:
- MIME (Multipurpose Internet Mail Extensions): यह ईमेल के माध्यम से भेजे जाने वाले डेटा के स्वरूप को परिभाषित करता है और विभिन्न प्रकार की फाइलों (जैसे कि ऑडियो, वीडियो) को सपोर्ट करता है।
- XML (eXtensible Markup Language): डेटा को संरचित और सुसंगत प्रारूप में प्रस्तुत करता है, जिससे डेटा का आदान-प्रदान किया जा सके।
- डेटा संपीड़न और एन्क्रिप्शन टूल्स:
- ZIP और RAR: ये फ़ाइल संपीड़न टूल्स हैं जो डेटा को संपीड़ित करते हैं ताकि ट्रांसमिशन में बैंडविड्थ की बचत हो सके।
- PGP (Pretty Good Privacy): यह डेटा एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे संवेदनशील डेटा की सुरक्षा होती है।
Application Layer of OSI Model in Hindi
अनुप्रयोग परत (Application Layer)
OSI मॉडल की सातवीं और अंतिम परत है, जो नेटवर्क पर एप्लिकेशनों और यूज़र्स के बीच सीधे इंटरफेस प्रदान करती है। यह परत नेटवर्क सेवाओं को एप्लिकेशनों के लिए उपलब्ध कराती है और उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क संसाधनों के साथ संवाद करने की अनुमति देती है।
उद्देश्य (Purpose of the Application Layer)
- उपयोगकर्ता इंटरफेस: अनुप्रयोग परत उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क पर सेवाओं और संसाधनों के साथ संवाद करने के लिए एक इंटरफेस प्रदान करती है। यह परत उपयोगकर्ता के अनुरोधों और प्रतिक्रियाओं को समझती है और उन्हें उचित सेवाओं के लिए रूट करती है।
- नेटवर्क सेवाएं: यह परत एप्लिकेशनों के लिए नेटवर्क सेवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करती है, जैसे कि ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, और फ़ाइल ट्रांसफर। यह परत एप्लिकेशन को नेटवर्क के माध्यम से डेटा प्राप्त करने और भेजने की अनुमति देती है।
- डेटा प्रोसेसिंग: अनुप्रयोग परत डेटा प्रोसेसिंग और फॉर्मेटिंग के कार्यों को संभालती है, जिससे डेटा को एप्लिकेशन स्तर पर सही ढंग से उपयोग किया जा सके।
- प्रोटोकॉल संचार: यह परत नेटवर्क प्रोटोकॉल्स (जैसे HTTP, FTP) के माध्यम से एप्लिकेशन के बीच संचार को प्रबंधित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि एप्लिकेशन प्रोटोकॉल्स के मानकों के अनुसार काम कर रही हैं।
- सेवा प्रबंधन: अनुप्रयोग परत विभिन्न प्रकार की सेवाओं को प्रबंधित करती है, जैसे कि फ़ाइल ट्रांसफर, ईमेल, और वेब ब्राउज़िंग, और उपयोगकर्ताओं को इन सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करती है।
विशेषताएँ (Characteristics of the Application Layer)
- सर्विस प्रोवाइडर: यह परत नेटवर्क सेवाओं और एप्लिकेशनों के बीच इंटरफेस प्रदान करती है, जैसे कि ईमेल, वेब सेवाएं, और फ़ाइल ट्रांसफर।
- प्रोटोकॉल समर्थन: अनुप्रयोग परत विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल्स का समर्थन करती है, जो डेटा के आदान-प्रदान को व्यवस्थित करती है, जैसे कि HTTP, FTP, SMTP, और POP3।
- उपयोगकर्ता अनुभव: यह परत अंतिम उपयोगकर्ता के अनुभव को प्रबंधित करती है, जैसे कि वेब ब्राउज़र के लिए यूजर इंटरफेस और ईमेल क्लाइंट के लिए मेल बॉक्स।
- डेटा फॉर्मेटिंग: यह परत डेटा को उचित फॉर्मेट में प्रोसेस करती है, जैसे कि HTML पेजों के लिए HTML फॉर्मेटिंग और ईमेल संदेशों के लिए MIME फॉर्मेटिंग।
- सेवा एक्सेस: अनुप्रयोग परत नेटवर्क पर उपलब्ध विभिन्न सेवाओं और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करती है, जिससे उपयोगकर्ता इन सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।
उदाहरण (Examples of the Application Layer)
- नेटवर्क एप्लिकेशन:
- वेब ब्राउज़र: जैसे कि Google Chrome, Mozilla Firefox – ये HTTP/HTTPS प्रोटोकॉल का उपयोग करके वेब पेजों को एक्सेस और प्रदर्शित करते हैं।
- ईमेल क्लाइंट्स: जैसे कि Microsoft Outlook, Gmail – ये SMTP, POP3, IMAP प्रोटोकॉल्स का उपयोग करके ईमेल भेजते और प्राप्त करते हैं।
- प्रोटोकॉल्स:
- HTTP (Hypertext Transfer Protocol): वेब पेजों को ट्रांसफर करने के लिए उपयोग होता है।
- FTP (File Transfer Protocol): फाइलों को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर ट्रांसफर करने के लिए उपयोग होता है।
- SMTP (Simple Mail Transfer Protocol): ईमेल भेजने के लिए उपयोग होता है।
- DNS (Domain Name System): डोमेन नाम को IP पते में ट्रांसलेट करता है।
- नेटवर्क सेवाएं:
- वेब सर्विसेज: जैसे कि RESTful APIs और SOAP वेब सर्विसेज – ये विभिन्न एप्लिकेशनों के बीच डेटा और सेवाओं का आदान-प्रदान करती हैं।
- फ़ाइल ट्रांसफर सेवाएँ: जैसे कि Dropbox, Google Drive – ये सेवाएँ फ़ाइलों को स्टोर और शेयर करने की सुविधा प्रदान करती हैं।
- अन्य एप्लिकेशन:
- टेलनेट: एक नेटवर्क प्रोटोकॉल जो दूरस्थ मशीनों पर कनेक्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।
- VoIP (Voice over IP): जैसे कि Skype, Zoom – ये प्रोटोकॉल वॉयस और वीडियो कॉल्स को नेटवर्क पर ट्रांसमिट करते हैं।
7 layers of OSI model
1. OSI मॉडल का परिचय
OSI (Open Systems Interconnection) मॉडल नेटवर्किंग का एक मानक ढांचा है, जो डेटा को एक सिस्टम से दूसरे में स्थानांतरित करने के लिए 7 परतों में विभाजित करता है।
2. फिजिकल लेयर (Physical Layer)
यह पहली परत है, जो हार्डवेयर कनेक्शन जैसे केबल्स, स्विच, और सिग्नल्स का प्रबंधन करती है।
- कार्य: डेटा को बिट्स में बदलना।
- उदाहरण: Ethernet, USB।
3. डेटा लिंक लेयर (Data Link Layer)
यह परत डेटा ट्रांसमिशन के दौरान त्रुटियों को ठीक करने और डेटा पैकेजिंग का काम करती है।
- कार्य: फ्रेमिंग और एरर डिटेक्शन।
- उदाहरण: MAC (Media Access Control)।
4. नेटवर्क लेयर (Network Layer)
यह परत डेटा के लिए सबसे अच्छा मार्ग (Routing) तय करती है।
- कार्य: IP एड्रेसिंग और रूटिंग।
- उदाहरण: IP (Internet Protocol)।
5. ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer)
यह परत डेटा के विश्वसनीय डिलीवरी को सुनिश्चित करती है।
- कार्य: Segmentation, Acknowledgment।
- उदाहरण: TCP, UDP।
6. सेशन लेयर (Session Layer)
यह परत नेटवर्क पर दो सिस्टम्स के बीच संचार (Sessions) को प्रबंधित करती है।
- कार्य: Session Initialization और Termination।
- उदाहरण: APIs, NetBIOS।
7. प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer)
यह परत डेटा को उपयोगकर्ता के समझने लायक रूप में प्रस्तुत करती है।
- कार्य: डेटा एन्क्रिप्शन और डिकोडिंग।
- उदाहरण: JPEG, ASCII।
8. एप्लिकेशन लेयर (Application Layer)
यह उपयोगकर्ता और नेटवर्क के बीच इंटरफेस प्रदान करती है।
- कार्य: नेटवर्क सेवाओं का उपयोग करना।
- उदाहरण: HTTP, FTP।
9. डेटा ट्रांसफर प्रक्रिया
OSI मॉडल डेटा ट्रांसफर को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि डेटा प्रभावी और सुरक्षित रूप से ट्रांसफर हो।
10. OSI मॉडल का महत्व
- नेटवर्किंग को स्टैंडर्ड रूप में परिभाषित करता है।
- अलग-अलग सिस्टम्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाता है।
- नेटवर्क समस्या निवारण को आसान बनाता है।
OSI Model in computer Network
1. OSI मॉडल का परिचय
OSI (Open Systems Interconnection) मॉडल एक नेटवर्किंग ढांचा है, जो डेटा के ट्रांसफर को 7 परतों (Layers) में विभाजित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य नेटवर्किंग प्रक्रिया को मानकीकृत करना है।
2. फिजिकल लेयर (Physical Layer)
यह OSI मॉडल की पहली परत है।
- कार्य: डेटा को बिट्स (0 और 1) में परिवर्तित करना।
- उदाहरण: केबल्स, हब, स्विच, और सिग्नल।
3. डेटा लिंक लेयर (Data Link Layer)
यह परत डेटा पैकेट को फ्रेम में बदलती है और ट्रांसमिशन त्रुटियों को ठीक करती है।
- कार्य: एरर डिटेक्शन और करेक्शन।
- उदाहरण: MAC एड्रेस और ARP।
4. नेटवर्क लेयर (Network Layer)
डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का कार्य करती है।
- कार्य: IP एड्रेसिंग और रूटिंग।
- उदाहरण: IP (Internet Protocol), ICMP।
5. ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport Layer)
यह परत डेटा के विश्वसनीय ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करती है।
- कार्य: Segmentation और Flow Control।
- उदाहरण: TCP, UDP।
6. सेशन लेयर (Session Layer)
यह परत संचार सत्रों (Sessions) को स्थापित और प्रबंधित करती है।
- कार्य: Connection Setup, Maintenance और Termination।
- उदाहरण: APIs, NetBIOS।
7. प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation Layer)
यह परत डेटा को एक सामान्य प्रारूप में बदलती है।
- कार्य: डेटा एन्क्रिप्शन, डिकोडिंग और कम्प्रेशन।
- उदाहरण: JPEG, MP3, ASCII।
8. एप्लिकेशन लेयर (Application Layer)
यह परत उपयोगकर्ता और एप्लिकेशन के बीच इंटरफेस प्रदान करती है।
- कार्य: उपयोगकर्ता सेवाओं का प्रबंधन।
- उदाहरण: HTTP, FTP, SMTP।
9. OSI मॉडल की डेटा ट्रांसफर प्रक्रिया
OSI मॉडल डेटा को प्रत्येक परत से प्रोसेस करता है, जिसमें डेटा का एनकैप्सुलेशन और डीकैप्सुलेशन होता है।
10. OSI मॉडल का महत्व
- नेटवर्किंग को बेहतर तरीके से समझने और डिजाइन करने में मदद करता है।
- समस्या निवारण (Troubleshooting) को सरल बनाता है।
- विभिन्न प्रकार के नेटवर्क और प्रोटोकॉल को एक साथ काम करने में सक्षम बनाता है।
Freqently Asked Questions (FAQs)
Q1: OSI मॉडल क्या है?
Ans. OSI मॉडल एक नेटवर्किंग दृष्टिकोण है जो डेटा ट्रांसफर को सात परतों में विभाजित करता है, जिससे नेटवर्क संचार को व्यवस्थित और समझने में आसान बनाता है। ये परतें हैं: भौतिक, डेटा लिंक, नेटवर्क, ट्रांसपोर्ट, सत्र, प्रस्तुतीकरण, और अनुप्रयोग।
Q2: OSI मॉडल की परतें कौन-कौन सी हैं?
Ans. OSI मॉडल की सात परतें हैं:
- भौतिक परत (Physical Layer)
- डेटा लिंक परत (Data Link Layer)
- नेटवर्क परत (Network Layer)
- ट्रांसपोर्ट परत (Transport Layer)
- सत्र परत (Session Layer)
- प्रस्तुतीकरण परत (Presentation Layer)
- अनुप्रयोग परत (Application Layer)
Q3: भौतिक परत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans.भौतिक परत का मुख्य उद्देश्य डेटा को बाइनरी सिग्नल्स में बदलना और उसे नेटवर्क के माध्यम से भेजना है। यह परत हार्डवेयर इंटरफेस, जैसे कि केबल और स्विचेस, को प्रबंधित करती है।
Q4: डेटा लिंक परत की जिम्मेदारी क्या होती है?
Ans. डेटा लिंक परत नेटवर्क पर डेटा फ्रेम्स को एन्कोड और डिकोड करती है, और डेटा ट्रांसफर की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए त्रुटियों की पहचान और सुधार करती है।
Q5: नेटवर्क परत का कार्य क्या है?
Ans.नेटवर्क परत डेटा पैकेट्स को स्रोत से गंतव्य तक रूट करती है और IP पते का उपयोग करके डेटा को सही मार्ग पर भेजती है।
Q6: Osi मॉडल से आप क्या समझते हैं?
Ans. ओएसआई (ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन) मॉडल 1984 में नेटवर्किंग प्रणालियों के लिए विकसित एक वैचारिक ढांचा है। यह प्रक्रिया को सात परतों में विभाजित करके कंप्यूटर प्रणालियों के नेटवर्क पर संचार के तरीके को मानकीकृत करता है। भौतिक परत: केबल या वायरलेस सिग्नल के माध्यम से उपकरणों के बीच कच्चे डेटा संचरण को संभालती है।
Q7: नेटवर्क की 7 परतें कौन सी हैं?
Ans.ओएसआई संदर्भ मॉडल में, एक कंप्यूटिंग सिस्टम के बीच संचार को सात अलग-अलग अमूर्त परतों में विभाजित किया जाता है: भौतिक, डेटा लिंक, नेटवर्क, परिवहन, सत्र, प्रस्तुति और अनुप्रयोग ।